હાથ ના કર્યા હૈયે લાગે તોય દોષ બીજા નો ધરશે,
લાખો રૂપિયા મંદિર માં ધરી મને લાંચ આપવા નું કરશે
ઘેર જઈ ને આ મનુષ્ય જે કરતો હોય એ કરશે ..
ખુદ પર અમલ કરવું હોય ત્યારે હજાર ત્રાગા કરશે .
ये कहानी है एक पति-पत्नी की, जिनके बीच गुस्से का तूफान खड़ा हो गया। पति देर से घर लौटे, तो पत्नी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। उन्होंने पति को डाँटना शुरू कर दिया और उन्हें शक हुआ कि वो कहीं घूमने तो नहीं गए। पति घबरा कर सफाई देने लगे कि वो अपनी माँ को गाँव से लाने गये थे।
पत्नी को ये बात बिलकुल हजम नहीं हुई। उन्हें गुस्सा आया कि बिना बताए अपने भाईयों पर बोझ क्यों डाला। वो इस बात से सहमत नहीं थीं कि सासू माँ को उनके घर लाया जाए। गुस्से में अंधी हुई पत्नी ने ये भी नहीं देखा कि उनके बगल में खड़ी एक बुजुर्ग महिला आंसू पोंछ रही थीं।
ये महिला और कोई नहीं, बल्कि पति की माँ ही थीं। वो अपने बेटों के घर से निकाल दी गई थीं। पति ने उन्हें सहारा दिया और अपने घर ले आए। जब पत्नी को ये सच्चाई पता चली, तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई। शर्मिंदगी के साथ उन्होंने अपनी माँ को गले लगा लिया।
उन्होंने गुस्से में जो गलत शब्द कहे थे, उनके लिए पति से माफी मांगी। पति को भी खुशी हुई कि उनकी पत्नी ने उनकी माँ को अपना लिया। इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि गुस्सा जल्दी आ जाता है, पर उसका नतीजा कभी अच्छा नहीं होता।
हर बात को बिना समझे गुस्से में रिएक्ट करने से गलतफहमी पैदा हो सकती है। रिश्तों में प्यार और समझदारी होनी चाहिए। गुस्से की आंधी आने से पहले थोड़ा रुकें, जल्दबाजी में कोई फैसला ना लें। थोड़े से धैर्य और प्यार से हर मुश्किल को आसानी से सुलझाया जा सकता है।