Saturday, March 26, 1994

हास्य / कटाक्ष

रात दिन बैठा किया करता है बालों मैं खिजाब
क्या ये बूढ़ा नए सिर से फिर जवां हो जायेगा?

कौन कहता है के बुड्ढे प्यार नहीं करते,
वो तो हम है जो उनपे शक नहीं करते.

हूए एस तरह मुहफ्फिज़ के घर का मुह न देखा,
करी उम्र होटलों मैं और मरे अस्पताल जाकर

पैखाने मैं जा बैठे मैखाना समझ कर
डब्बा उठाकर पी गए जाम समझकर

आप को देखा तो ऐसा लगा
के फुर्सत से बनाया गया होगा आपको
वर्ना इतनी साडी भूलें
थोड़े समय मैं नहीं हो सकती

जब वो पहली बार मिली तो लगी हेल्पफुल
जब वो दूसरि बार मिली तो लगी ब्यूटीफुल
जब वो तीसरी बार मिली तो लगी डाउटफुल
जब वो चोथी बार मिली तो बना गइ अप्रैलफुल