मैंने तो अभी सफ़र शुरु किया है.
ना हरा हूँ ना हारूँगा उम्र भर कभी,
किसी से नहीं खुद से वादा जो किया है.
मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती है,
स्वप्न परदे निगाहों से हटाती हैं,
हौसला मत हार गिरकर ओ मुसाफिर,
ठोकरें इंसान को चलना सिखाती है.
आँधियों के बीच जो जलता हूया मिल जायेगा,
उस दिए से पूछना मेरा पता मिल जायेगा.
इन हाथों मैं इतनी ताक़त है,
जुड़ जाये तो सराफत हैं,
ये मिल जाये तो मुहब्बत है,
उठ जाये तो क़यामत है,
स्वाभिमान को गिरवी रख कर कोई समझोता नहीं,
दो सो दिन के गुलामी से तो दो दिन के आज़ादी अच्छी.
मांद को सुनसान देख कर चिल्लाओ मत,
हो सकता है शेर सो रहा हो.