Thursday, March 23, 1995

बुलंदी


न पूछो की मेरी मंजिल है कहाँ,
मैंने तो अभी सफ़र शुरु किया है.
ना हरा हूँ ना हारूँगा उम्र भर कभी,
किसी से नहीं खुद से वादा जो किया है.

मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती है,
स्वप्न परदे निगाहों से हटाती हैं,
हौसला मत हार गिरकर ओ मुसाफिर,
ठोकरें इंसान को चलना सिखाती है.

आँधियों के बीच जो जलता हूया मिल जायेगा,
उस दिए से पूछना मेरा पता मिल जायेगा.

इन हाथों मैं इतनी ताक़त है,
जुड़ जाये तो सराफत हैं,
ये मिल जाये तो मुहब्बत है,
उठ जाये तो क़यामत है,

स्वाभिमान को गिरवी रख कर कोई समझोता नहीं,
दो सो दिन के गुलामी से तो दो दिन के आज़ादी अच्छी.

मांद को सुनसान देख कर चिल्लाओ मत,
हो सकता है शेर सो रहा हो.

गधा

इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं.
जिधर देखता हूँ, गधे ही गधे हैं.

घोड़ो को नहीं मिलती घास देखो,
गधे खा रहे हैं च्यवनप्रास देखो.

यहाँ आदमी की कब कहाँ बनी है,
ये दुनिया गधो के लिए ही बनी है.

जो गलियों मैं डोले वो नकली गधा है,
जो खेतों मैं बोले वो फसली गधा है,
जो माइक पर चीखे वो असली गधा है.

खुदा के घर से कुछ गधे फरार हुए
कुछ पकडे गए व् कुछ _____ हुए

આદમીઓ આલમમાં .....

કોઈને સારો તો કોઈ ને ખરાબ લાગુ છું
કોઈ ને કંટક તો કોઈ ને ગુલાબ લાગુ છું
આમ તો કોઈએ મને પીધો નથી છતાં
કોઈને સુધા કોઈને શરાબ લાગુ છું
ચાલતા લાગણીને રસ્તે વાગ્યા કેટલાંક કાંચ છે
આંખે છોને આંસુ આવ્યા હૈયે તોયે રોમાંચ છે.
આમ તો અગણિત છે આદમીઓ આલમમાં
પણ મને ઓળખી શક્યા એવા બે પાંચ છે.