હજારો વર્ષથી
વર્ષે વર્ષે જન્મતા
ભગવાન શ્રી કૃષ્ણ
આ વખતે ખરે જ
વિચારતા'તા
કે
મહાભારત જેવા
મહાયુદ્ધો ખેલી ગયેલી
આ ખમીરવંતી પ્રજા
પોલીટીક્સની "ટ્રીક્સ" વડે
રમતગમત રમતી રમતી
સ્વયં પોતે જ
પોતાના હાથે
કાં હારે????
Wednesday, March 26, 1997
Thursday, March 23, 1995
बुलंदी
मैंने तो अभी सफ़र शुरु किया है.
ना हरा हूँ ना हारूँगा उम्र भर कभी,
किसी से नहीं खुद से वादा जो किया है.
मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती है,
स्वप्न परदे निगाहों से हटाती हैं,
हौसला मत हार गिरकर ओ मुसाफिर,
ठोकरें इंसान को चलना सिखाती है.
आँधियों के बीच जो जलता हूया मिल जायेगा,
उस दिए से पूछना मेरा पता मिल जायेगा.
इन हाथों मैं इतनी ताक़त है,
जुड़ जाये तो सराफत हैं,
ये मिल जाये तो मुहब्बत है,
उठ जाये तो क़यामत है,
स्वाभिमान को गिरवी रख कर कोई समझोता नहीं,
दो सो दिन के गुलामी से तो दो दिन के आज़ादी अच्छी.
मांद को सुनसान देख कर चिल्लाओ मत,
हो सकता है शेर सो रहा हो.
गधा
इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं.
जिधर देखता हूँ, गधे ही गधे हैं.
जिधर देखता हूँ, गधे ही गधे हैं.
घोड़ो को नहीं मिलती घास देखो,
गधे खा रहे हैं च्यवनप्रास देखो.
यहाँ आदमी की कब कहाँ बनी है,
ये दुनिया गधो के लिए ही बनी है.
जो गलियों मैं डोले वो नकली गधा है,
जो खेतों मैं बोले वो फसली गधा है,
जो माइक पर चीखे वो असली गधा है.
खुदा के घर से कुछ गधे फरार हुए
कुछ पकडे गए व् कुछ _____ हुए
गधे खा रहे हैं च्यवनप्रास देखो.
यहाँ आदमी की कब कहाँ बनी है,
ये दुनिया गधो के लिए ही बनी है.
जो गलियों मैं डोले वो नकली गधा है,
जो खेतों मैं बोले वो फसली गधा है,
जो माइक पर चीखे वो असली गधा है.
खुदा के घर से कुछ गधे फरार हुए
कुछ पकडे गए व् कुछ _____ हुए
આદમીઓ આલમમાં .....
કોઈને સારો તો કોઈ ને ખરાબ લાગુ છું
કોઈ ને કંટક તો કોઈ ને ગુલાબ લાગુ છું
આમ તો કોઈએ મને પીધો નથી છતાં
કોઈને સુધા કોઈને શરાબ લાગુ છું
ચાલતા લાગણીને રસ્તે વાગ્યા કેટલાંક કાંચ છે
આંખે છોને આંસુ આવ્યા હૈયે તોયે રોમાંચ છે.
આમ તો અગણિત છે આદમીઓ આલમમાં
પણ મને ઓળખી શક્યા એવા બે પાંચ છે.
કોઈ ને કંટક તો કોઈ ને ગુલાબ લાગુ છું
આમ તો કોઈએ મને પીધો નથી છતાં
કોઈને સુધા કોઈને શરાબ લાગુ છું
ચાલતા લાગણીને રસ્તે વાગ્યા કેટલાંક કાંચ છે
આંખે છોને આંસુ આવ્યા હૈયે તોયે રોમાંચ છે.
આમ તો અગણિત છે આદમીઓ આલમમાં
પણ મને ઓળખી શક્યા એવા બે પાંચ છે.
Saturday, March 26, 1994
हास्य / कटाक्ष
रात दिन बैठा किया करता है बालों मैं खिजाब
क्या ये बूढ़ा नए सिर से फिर जवां हो जायेगा?
कौन कहता है के बुड्ढे प्यार नहीं करते,
वो तो हम है जो उनपे शक नहीं करते.
हूए एस तरह मुहफ्फिज़ के घर का मुह न देखा,
करी उम्र होटलों मैं और मरे अस्पताल जाकर
पैखाने मैं जा बैठे मैखाना समझ कर
डब्बा उठाकर पी गए जाम समझकर
आप को देखा तो ऐसा लगा
के फुर्सत से बनाया गया होगा आपको
वर्ना इतनी साडी भूलें
थोड़े समय मैं नहीं हो सकती
जब वो पहली बार मिली तो लगी हेल्पफुल
जब वो दूसरि बार मिली तो लगी ब्यूटीफुल
जब वो तीसरी बार मिली तो लगी डाउटफुल
जब वो चोथी बार मिली तो बना गइ अप्रैलफुल
क्या ये बूढ़ा नए सिर से फिर जवां हो जायेगा?
कौन कहता है के बुड्ढे प्यार नहीं करते,
वो तो हम है जो उनपे शक नहीं करते.
हूए एस तरह मुहफ्फिज़ के घर का मुह न देखा,
करी उम्र होटलों मैं और मरे अस्पताल जाकर
पैखाने मैं जा बैठे मैखाना समझ कर
डब्बा उठाकर पी गए जाम समझकर
आप को देखा तो ऐसा लगा
के फुर्सत से बनाया गया होगा आपको
वर्ना इतनी साडी भूलें
थोड़े समय मैं नहीं हो सकती
जब वो पहली बार मिली तो लगी हेल्पफुल
जब वो दूसरि बार मिली तो लगी ब्यूटीफुल
जब वो तीसरी बार मिली तो लगी डाउटफुल
जब वो चोथी बार मिली तो बना गइ अप्रैलफुल
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